पेशे से चिकित्सक और स्वभाव से व्यंग्यकार ज्ञान चतुर्वेदी अनेक उपन्यासों के रचनाकार हैं। उन्हें हमारे दौर में हिन्दी के सबसे प्रतिभाशाली व्यंग्य लेखक के रूप में आदर प्राप्त है। उनके व्यंग्य स्थितियों की जड़ता की विडम्बना दर्शा कर ही अपना दायित्व पूरा नहीं कर लेते अपितु इसके कारणों की तलाश करते हुए इस जड़ता की बेचैनी भी प्रकट करते हैं। भोपाल में निवास कर रहे डा. ज्ञान चतुर्वेदी अनेक अखबारों और पत्रिकाओं में नियमित लिखते हैं। उन्होंने व्यंग्य उपन्यास के क्षेत्र में मौलिक योगदान किया है।. अपनी व्यंग्य पुस्तक 'नेपथ्य लीला' में डा. ज्ञान चतुर्वेदी ने खोखले आदर्शों की दुहाई देने वालों की दोहरी मानसिकता को उजागर किया है वहीं आधुनिक प्रेमियों के प्रेम और रिश्तों की ज़मीनी हक़ीक़त के साथ प्रमोशन पाने के लिए हर तिकड़म भिड़ाने वाले अफ़सरों पर करारा कटाक्ष भी है। सत्ता के गलियारों में अपनी पैठ बनाए रखने के लिए लालयित भ्रष्ट नेताओं घूसखोरी में डूबे बेईमानों तथा इनके सामने लचर होती कानून व्यवस्था पर करारा प्रहार नेपथ्य लीला की विशेषता है। थोड़े शब्दों में गंभीर और बड़ी बात कह जाने में ज्ञान चतुर्वेदी का कौशल अद्भुत है इस लिहाज से वे हरिशंकर परसाई और शरद जोशी के सच्चे उत्तराधिकारी हैं।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.