नेपथ्य में गूँजते शब्द वृतान्त है मनुष्यता की। मनुष्यता के हर पहलू को समेटे ये 46 कविताएँ प्रेम एवं सौंदर्य कीसंघर्ष एवं समर्पण की आत्मा एवं वासना की प्रेरणा एवं ढृढ़ निश्चय की सरल एवं सुन्दर व्याख्या करते हैं । वीर रस के रोर रौरव से लेकर श्रृंगार रस की शीतलता तक सारे भाव इन कविताओं के शब्दों एवं छंदों के माध्यम से मनुष्य के निरंतर संघर्ष एवं अमर प्रेम की गाथा कहते हैं । ये कविताएँ कथा हैं इस नश्वर शरीर की जिसकी अमर चेतना अनादि काल तक नेपथ्य में गूँजती रहती है ।
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