*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹200
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
नेताजी का डी.एन.ए. अगले दिन हम सुबह ही वर्माजी के घर जा पहुँचे। वहाँ बड़ी भीड़ थी। प्रायः सबके हाथ में कुछ कागज भी थे। किसी को गली की समस्या थी तो किसी को बिजली के खंभे की। किसी को अपने या अपने किसी रिश्तेदार के लिए नौकरी चाहिए थी तो किसी को दुकान। वर्माजी सबसे बड़ी चतुराई से निबट रहे थे। कभी वे गरम हो जाते तो कभी नरम। कभी किसी के साथ वे अंदर जाकर गुपचुप बात करते तो किसी को सबके सामने हड़काने लगते। शर्माजी से उन्होंने चाय का आग्रह किया; पर मुझे पानी तक को नहीं पूछा। उनको बार-बार रंग बदलता देख मैं समझ गया कि जरूर इनके डी.एन.ए. में गिरगिट के कुछ अंश हैं। जरा सोचिए अभी तो ‘मेरा भारत महान्’ विकासशील देश है; पर जब यह पूर्ण विकसित हो जाएगा तब सड़क पर झाड़ू लगाते सफाईकर्मी खेत में आधी धोती पहनकर हल चलाते किसान फटी लँगोटीवाले भिखारी सब टाईवाले ही होंगे। घरों में झाड़ू-पोंछा करनेवाली महिलाएँ और गलियों में आवाज लगाकर फल-सब्जी बेचनेवाले इसे लगाकर आएँगे। टाईवाले चालक के रिक्शा में बैठकर लगेगा मानो पूरा ब्रिटेन आपकी गुलामी कर रहा है। दूधवाला अपने साथ-साथ भैंस के गले में भी इसे लटका देगा। इससे दूध में पर्याप्त पानी होने पर भी दो-चार रुपए फालतू देते हुए आपको कष्ट नहीं होगा। —इसी संग्रह से वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक विद्रूपताओं पर करारा प्रहार करनेवाली चुटीली व्यंग्य रचनाओं का संकलन।