This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.1919 में प्रकाशित उपन्यास सेवासदन मूलतः उर्दू में लिखा गया था और इसका नाम था बाज़ारे-हुस्न। इससे पहले मुंशी पे्रमचन्द ने लघु उपन्यास ही लिखे थे और यह उनका पहला महत्त्वपूर्ण उपन्यास था। इसकी कहानी बीसवीं सदी में वाराणसी की पृष्ठभूमि पर केन्द्रित है जहाँ नायिका सुमन अपने पति के साथ रहती है। प्रेम के अभाव में उनका दाम्पत्य जीवन सुखद नहीं था। दुखी और उदास सुमन इतनी मायूस हो जाती है कि पथ-भ्रष्ट होकर बनारस के एक कोठे पर पहुँच जाती है। फिर कहानी कुछ ऐसा मोड़ लेती है कि वह कोठे को छोड़ एक अनाथालय का रुख करती है और उनकी सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर देती है। अन्य कई उपन्यासों की तरह प्रेमचंद का यह उपन्यास भी स्त्री-केन्द्रित है जिसमें सुमन के किरदार के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समय के समाज पर व्यंग्यात्मक प्रहार किया है।हिन्दी के पाठकों का प्रेमचन्द की कहानियों के प्रति विशेष आकर्षण रहा है। वे कहानियां यदि लेखक की भी पसंदीदा हों और उन्हें आलोचकों ने भी सराहा हो तो कहना ही क्या! ऐसी ही चुनिंदा कहानियों को पाठकों के लिए इस पुस्तक में संगृहीत किया गया है। यथार्थ की सच्चाइयों से रू-ब-रू कराती इन कहानियों को पढ़ते हुए पाठक उनमें पूरी तरह खो जाता है। यही कहानीकार की सफलता का मूल मन्त्र है और यही प्रेमचन्द की विशेषता है।निर्मला' प्रेमचंद की जानी-मानी रचना है जिसमें उन्होंने भारत में महिलाओं के प्रति होने वाले सामाजिक अन्याय पर रोशनी डाली है। निर्मला पंद्रह साल की कमसिन लड़की है जो दहेज प्रथा के कारण एक बूढ़े व्यक्ति से ब्याही जाती है। विवाह के बाद निर्मला को किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और इन सबका उसके दिल पर क्या असर पड़ता है- इस सबका उपन्यास में मार्मिक वर्णन है। हिंदी साहित्य जगत में प्रेमचंद का अग्रणी स्थान है और 1928 में पहली बार प्रकाशित 'निर्मला' आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी तब थी।यशपाल की गणना हिन्दी साहित्य के निर्माताओं में की जाती है।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.