पुस्तकचलो धम्म की ओरके लेखक लालता प्रसाद दोहरे के द्वारा बौद्ध धम्म के दर्शन का शोधकर एक शोधग्रंथ निर्वाण यात्रापुस्तक के रूप में उपलब्ध कराया है। दोहरे जी पाली भाषा में पारंगत हैं बौद्ध विवाह के साथबौद्ध संस्कार कराने में पारंगत हैं धम्मपद की अनेक गाथाएं उन्हें याद है।लेखन के साथ साथ ग्वालियर में मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य अकादमी भोपाल से प्राप्त पाठक मंच में आई पुस्तकों की समीक्षा भी वर्षों से करते चले आ रहे हैं इसलिए इन्हें ग्वालियर में पुस्तक समीक्षक के रूप में भी जाना जाता है । दोहरे जी का व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों ही समाज के लिए अनुकरणीय है। ऐसे श्रेष्ट साहित्यकार के साहित्य सृजन के लिए मैं उन्हें ह्रदय से नमन करती हूं।डॉ मंजुलता आर्यसंयोजक पाठक मंच थाटीपुर507 सुरेश नगर ग्वालियर
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