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About The Book
Description
Author(s)
इसमें कोई मतभेद नहीं कि ग़ज़ल उर्दू शायरी की सबसे लोकप्रिय मनमोहक दिलकश और मधुर काव्य-विधा है। ग़ज़ल हर दौर में लोगों के दिलों पर राज करती रही है। क़सीदा मर्सिया मस्नवी रुबाई और अन्य शैलियां धीरे-धीरे या तो ख़त्म हो गईं या उनका रिवाज कम से कम होता गया। बल्कि यूं कहें तो ज़्यादा सही होगा कि ग़ज़ल ने उर्दू शायरी के इन तमाम अंदाज़ों को अपने दामन में समो लिया और अब जो भी कहा जा रहा है उसका अधिकतर भाग ग़ज़ल के रंग में कहा जा रहा है। ग़ज़ल जहां उर्दू शायरी की विरासत है वहीं शायरों की अंतरराष्ट्रीय पहचान भी है। उर्दू अदब के शायरों से हिन्दी जगत अनजान नहीं है। उर्दू ज़बान भारतीय उपमहाद्वीप की मिली-जुली संस्कृति और परंपरा की देन है। “मशहूर शायरों की नुमाइंदा शायरी” श्रंखला के अंतर्गत विश्व-प्रसिद्ध शायर दाग़ ज़ौक़ मोमिन मीर ग़ालिब ज़फ़र और इक़बाल की ग़ज़लों का चयन-संकलन किया गया है। यह चयन प्रक्रिया आसान नहीं थी क्योंकि हर ग़ज़ल की अपनी ख़ासियत है। ज़बान की नज़ाकत उसके लबो-लहजे शिल्पगत भिन्नताओं तथा विषयगत विविधताओं के चलते किस ग़ज़ल को संग्रह में शामिल किया जाए और किसे छोड़ दिया जाए यह निर्णय कठिन ही रहा। इन शायरों का अपना एक ख़ास मुकाम है और इनकी ग़ज़लों की भी अपनी ख़ास पहचान है। संपादकीय कौशल से इसे शायरी का एक ऐसा प्रतिनिधि संकलन बनाने की कोशिश की गर्इ है जो शायरी की समझ रखने वाले हर ख़ासो-आम को पसंद आएगा। इन शायरों की ग़ज़लें अपनी गुणवत्ता के कारण ग़ज़ल-प्रेमियों की ज़बान पर रहती हैं। हमारे गायकों ने उन्हें गाया है और फ़िल्मों में भी इनका उपयोग किया गया है। श्रंखला की प्रत्येक पुस्तक में शायर का जीवन-परिचय दिया गया है और साथ ही ग़ज़लों में आने वाले कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये गए हैं। यह संकलन इसी उद्देश्य से तैयार किया गया है कि हिन्दी भाषी भी उर्दू की मिठास कोमलता और मृदुलता का आनंद ले सकें।