गरीबी में जन्मे पले और बड़े हुए नरेंद्र मोदी और अमीरी में जन्मी देश के पहले यशश्वी प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की उत्तराधिकारी - पुत्री इंद्रा गाँधी के राजनैतिक कैरियर में समानता है l सन २०१४ में नरेंद्र मोदी ३० साल बाद स्पष्ट बहुमत वाली सरकार के मुखिया बने l नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े करेंसी रिप्लेसमेंट की जोखिम उठाई l बैंकों के राष्ट्रीयकरण से देश की ५५ करोड़ आबादी (तब ) प्रत्यक्ष प्रभावित नहीं हुई थी पर २३ अरब नोटों को रिप्लेस करने के नरेंद्र मोदी के जोखिम भरे फैसले ने सारे देश को क्यू में खड़ा कर दिया l नोट बंदी के ५० दिनों में देश के १२५ करोड़ लोगो ने नकदी का ऐसा भीषण संकट सहा कि लूट मच जाए दंगे हो जाएं और सत्ता पलट जाए l नरेंद्र मोदी पर लोगों का भरोसा ही है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ l कालेधन और जालीनोट को ख़तम करने के लिए शुरू हुई नोट बंदी का समापन कैशलेस इकॉनमी से होने जा रहा है जो फिर एक बड़ी चुनौती है l नरेंद्र मोदी को भरोसा है कि यह सम्पूर्ण अभियान देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कर देगा l नरेंद्र मोदी का कहना है - देश की अर्थव्यवस्था को खोखला करने वाले काले धन को खत्म करने की लिए बहुत साल पहले नोटबंदी हो जाना थी पर यह जोखिमभरा कदम था l मैंने यह कदम उठाया क्योंकि मेरे लिए दल से बड़ा है देश l सत्ता से बड़ी है देश की जनता l मेरा स्वप्न है - ऐसा भारत जहाँ का किसान खुश हो व्यापारी संपन्न हों महिला सशक्त हो युवा रोज़गाररत हों जहाँ हर परिवार का बुनियादी सुविधाओं वाला अपना घर हो नोटबंदी पर देश की यह पहली पुस्तक विगत ५० दिनों का रोज़नामचा होने के साथ नरेंद्र मोदी के स्वप्न - विकसित और संपन्न भारत की सम्भावना की तलाश है....!
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