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About The Book
Description
Author
गुज़िश्ता दस बारह साल पहले का अर्सा आज़ादिये हिन्द के बाद पहली बार इंतहाई पुर आशूब रहा। मज़हबी और फ़िर्क़ा वाराना तसादुम रोज़गार की कमी बेकारी समाजी और सियासी नाइस्तहकामी ने अवामुन्नास के दिलों पर गहरा असर डाला। लोग ख़ौफ़ो दहशत के साये में जीने को मजबूर हो गए और ये सिलसिला अब तक जारी है। ऐसे में रही सही कसर कोरोना की मोहलिक वबा ने पूरी कर दी। फ़नकार और क़लमकार इन ना मुसाइद हालात के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने में पीछे नहीं रहे तो आसी ख़ुद को कैसे अलग रख सकते थे। आसी का ज़ेह्नी और क़ल्बी इंतशार फ़ौरी तौर से ज़ाहिर होने के लिए ग़ज़लों की सूरत में फ़ेसबुक और दूसरे अदबी मंज़र नामों पर नमूदार होता रहा जिसे अब हम नुक्ता चीनी के नाम से जानते हैं।