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About The Book
Description
Author
ओ मेरी गुलदावरी वरिष्ठ कवि बागी चाचा की लगभग 74 ग़ज़लों का एक ऐसा संग्रह है जिसकी ग़ज़लें विशुद्ध रूप से हिन्दी की ज़मीन पर रची-बुनी गई हैं। कवि बागी चाचा चूँकि हास्य-व्यंग्य की रचनाओं के लिए जाने और पहचाने जाते हैं तो उनका यह हास्य-व्यंग्य उनकी ग़ज़लों पर भी हावी रहा है; यही कारण है कि उनकी ग़ज़लों के अश्आर कभी खिलखिला कर हँसने पर विवश करते हैं तो कभी ऐसा व्यंग्य अथवा कटाक्ष कर जाते हैं जो मन की गहराईयों तक उतरकर बहुत-कुछ सोचने-विचारने पर विवश कर देते हैं। अपनी बात को आम लोगों तक पहुँचाने के लिए कवि ने आम लोगों की भाषा का ही प्रयोग किया है और इसके लिए अनेक स्थानों पर उन्होंने ग़ज़ल की परम्परागत बहरों (छन्दों) का अतिक्रमण भी किया है।