हम सबका जीवन स्वस्थ हो संम्पन्न हो समृद्ध हो सुखी हो इसी उद्देश्य के साथ इस लेख की रचना की गयी है; जो न तो मन की धारणाओं पर आधारित है ना ही इसे मोटिवेशन कि मान्यताओं पर संयोजित किया है। इसे अस्तित्त्व के नियमों को जानकार अभ्यास करके और अपने अनुभवों को आधारित करते हुए शुद्धतम रूप से रचा गया है। इसकी भूमिका को जानने के लिए ब्रह्माण्ड के इस एक सूत्र को समझना होगा जो हर वस्तु विषय और तत्त्वों को एक दुसरे से संयुक्त करता है - चेतन तरंगों के आयाम. इन आयामों का आपके जीवन पर गहन प्रभाव पड़ता है क्यूंकि आपकी चेतन तरंगें ही हैं जो तय करतीं हैं कि आपके जीवन की वास्तविकता और आपके भविष्य की संभावनाएं क्या होंगी। इस विधि में तीन मुख्य भावों के माध्यम से समझने का प्रयास करेंगे कि कैसे हमारा ऊर्जा क्षेत्र आंदोलित होता है जो प्रगतिशील भी होता है और दुर्गतिशील भी। बहुत कम लोग हैं जो अपनी शक्तियों का दोहन करने में सक्षम हैं क्यूंकि हमारी शिक्षा का बहुत बड़ा हिस्सा मन आधारित है और मन इतना गतिमान रहता है कि इसके नियंत्रण के सभी उपाय असफल होने तय होते हैं। मन एकदम अधूरी बात है और मन ही है समस्त समस्याओं की जड़ । तो हमने मन के पार भीतरी अस्तित्त्वगत आयामों की चर्चा की है जिनको आसानी से समझकर और अभ्यास करके आप स्वयं अपने ऊर्जा क्षेत्र को अपने उद्देश्य के अनुरूप निर्मित करके एक सफल स्वस्थ और संम्पन्न जीवन जी सकते हैं।
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