कृष्ण की दिव्यता उसकी अनुभूति में है। कृष्ण की भक्ति से उठने वाले स्पंदन इस बात का प्रमाण होते हैं कि वह हर क्षण आपके समीप हैं या यूँ कहें कि आपके हृदय में विराजित हैं। आप कितना सहज अनुभव करते हैं जब वह आपके हृदय में विराजित होकर आपके कर्म पथ पर चलने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। आपका जीवन कितना सरल हो जाता है... बिना किसी अहंकार और आडंबर के आप उनका स्मरण करते हैं और स्पंदित हो जाती है पूरी काया और भर जाती है आपके शरीर में वह ऊर्जा जो प्रत्यक्ष रूप से आपको दिखाई नहीं देती किंतु जीवन का हर क्षण मुस्कुराता है और हर कर्म सहजता से निष्पादित होता है। कृष्ण की महिमा अपरंपार है। वो आपकी ऊर्जा है... आपका श्वास है... आपका कर्म है.... आपकी चेतना है.... सब कुछ है और उस क्षण आप स्वयं को भूल जाते हैं और आपका अंतरंग कृष्णमय हो जाता है। ये अनुभूति किसी और को शायद महसूस ना हो किंतु आप स्वयं इस अनुभूति के साक्ष्य बनते हैं और आपका जीवन खिलते पुष्प के समान खिल उठता है और आनंद से भर जाता है हर क्षण जिसकी स्मृतियाँ भी आपको गुदगुदाती हैं। ये है सच्ची कृष्ण भक्ति का फल और कृष्ण की महिमा का प्रमाण। क्या आपको ऐसी अनुभूति हुई?? यदि हाँ!! तो स्वयं साक्षी बनिये इसके और जीवन को आनंद से भर लीजिए लबालब। ये है सच्चा कृष्ण प्रसाद।।
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