कवि की देशभक्तिपरक कविताओं में तो कई जगहों पर ऐसे भाव-चित्र हैं कि आँखे भर जाती हैं. एक सैनिक के जीवन में जब परिवार से बड़ा दिखने लगता है अपना वतन तब कवि कहता है- उसके बेटे का जन्म दिन नहीं आता माँ कभी नहीं मरती बूढ़े पिता कभी बीमार नहीं पड़ते न पत्नी कभी राह ताकती शाम को उसके घर आने की और जब कहीं आता है उसके बेटे के जन्म दिन पर केक काटने का समय मां को मुखाग्नि देने की घड़ी बीमार पिता के लिए एम.आर.आई का टेस्ट और पत्नी को उसकी पसंदीदा साड़ी भेंट करने का वक्त वह बुला लिया जाता है वापस सरहद पर l इस संग्रह के नौ खंड हैं-आध्यात्मिक प्रेम देशभक्ति प्रेरक/आह्वान महान व्यक्तियों पर आधारित महिला आधारित लोकजीवन/त्यौहार गजल/रुबाइयाँ और हास्यपरक. इन सबमें मुक्त छंद का रचना शिल्प है. यद्यपि कवि ने जहाँ-तहाँ पारम्परिक छंदों का मोह नहीं छोड़ा है पर छंदमुक्त कविताएं ज्यादा वजनदार उतरी हैं. वास्तव में यह अत्यंत भावुक रचनाओं का संग्रह है. कवि को शुभकामनाएं ! शंकर मुनि राय विभागाध्यक्ष-हिंदी शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)
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