Osho Books in Hindi : Aakash Bhar Anand (आकाश भर आनंद) + Jeevit Mandir (जीवित मंदिर) + Shiksha Aur Jagran (शिक्षा और जागरण)
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About The Book

This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.सहज का अर्थ होता है कि हवा-पानी की तरह हो जाए। जीच में बुद्धि से बाधा न डालें। जो हो रहा है उसे होने दें। जो है उससे भिन्न होने की कोशिश मत करें। जो है उसे स्वीकार कर लें। जो है उसे जानें और जीएं। और इस जीने जानने और स्वीकार से आएगा परिवर्तन म्यूटेशन बदलाहट। और यह बदलाहट आपको वहां पहुंचा देगी जहां परमात्मा है।ओशो सरस संत और प्रफुल्ल दार्शनिक हैं। उनकी भाषा कवि की भाषा है। उनकी शैली में हृदय को द्रवित करने वाली भावना की उच्चतम ऊंचाई भी है और विचारों को झकझोरने वाली अकूत गहराई भी लेकिन उनकी गहराई का जल दर्पण की तरह इतना निर्मल है कि तल को देखने में दिक्कत नहीं होती। उनका ज्ञान अंधकूप की तरह अस्पष्ट नहीं है। कोई साहस करे प्रयोग करे तो उनके ज्ञान सरोवर के तल तक सरलता से जा सकता है। । ओमप्रकाश आदित्य (हास्य-व्यंग्य के सुप्रसिद्ध कवि) About the Author ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।उनके शब्द निपट जादू हैं__ -अमृता प्रीतमभारत ने अब तक जितने विचारक पैदा किए हैं वे उनमें सबसे मौलिक सबसे उर्वर सबसे स्पष्ट और सर्वाधिक सजनशील विचारक थे। उनके जैसा कोई व्यक्ति हम सदियों तक न देख पाएंगे। ओशो के जाने से भारत ने अपने महानतम सपूतों में से एक खो दिया है। विश्वभर में जो भी खुले दिमाग वाले लोग हैं वे भारत की इस हानि के भागीदार होंगे।खुशवंत सिंह सुविख्यात पत्रकार एवं लेखक
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