जिस प्रकार सपनों को पंख मिलें तो वह ऊँची उड़ान भरते हैं उसी प्रकार लेखन को यदि पंख मिलें तो वह अपनी गुंजार खुले और उन्मुक्त गगन में करता है । पाखी उन्मुक्त गगन के काव्य संग्रह इसी उद्देश्य पूर्ति हेतु रचित हुआ है । इस संग्रह में 51 लेखकों की लेखनी की गुंजार है जो सामाजिक स्त्री प्रधान कविताओं से सुशोभित तो है ही साथ ही इसने बाल कविताएँ और प्रकृति से संबंधित कविताएँ भी पाठकों को पढ़ने के लिए मिलेंगीं । मैं हमारे सभी 51 कवि व कवयित्रियों का हृदय से आभार प्रकट करती हूँ कि उन्होंने अपनी सुंदर प्रेरक व मनोरंजन कविताओं के सहयोग से इस संग्रह को सफल बनाया । मैं हमारे प्रकाशक नमन खंडेलवाल जी का भी बहुत धन्यवाद प्रकट करती हूँ जिन्होंने इस पुस्तक के सुंदर कवर पेज व अप्रतिम प्रकाशन से पुस्तक की शोभा में चार चांद लगा दिए। मैं आशा करती हूं कि पाखी उन्मुक्त गगन के पुस्तक को पढ़कर पाठक आनंद का अनुभव करेंगें ।
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