पारमिता शतपति ओरिया की प्रतिष्ठित चर्चित और सम्मानित कथाकार हैं जिनकी कई रचनाएँ हिंदी और अंग्रेजी समेत अन्य कई भाषाओँ में अनुदित हूँ चुकीं हैं. इस संकलन में उनकी कुछ चर्चित कहानियाँ शामिल हैं जिन्हें उनके तीव्र यथार्थबोध संवेदना और समाज की गहरी समझ के लिए जाना जाता है. पारमिता शतपति की कथा-शैली इतनी दिलचस्प और घटना-क्रम के ब्योरे इन्टने सूक्ष्म हूते हैं की किसी भी कहानी को एक बार शुरू करने पर आप पढ़ते ही चले जाते हैं. उदहारण के लिए संग्रह की पहली कहानी ‘पाप’ को लिया जा सकता है. दस-ग्यारह साल के बच्चे पर केन्द्रित यह कहानी जिसमे वह भूख के मारे एक मुर्गे को मार देता है और परिणाम स्वरुप अपने पूरे परिवार को मौत तक पहुंचा देता है एक स्तब्धकारी व्रतांत है यह उल्लेखनीय यह है कि वे आधुनिक समाज के निम्न तबके के दुःख तकलीफों के साथ मध्वर्ग के उथलेपन की भी गहेरी समझ रखतीं हैं. ‘दलाल” एक ऐसी ही कहानी है जिसमे एक व्यक्ति अपनी सामान्य चालाकियों से अकूत संपत्ति अर्जित करता है लेकिन अंत में एक चतुर लड़की के हाथों ठगा जाता है. पारमिता अपनी कहानियों में समाज के वंचित-दुर्बल लोगों का पक्ष लेते हुए साफ़ दिखाई देतीं हैं और खाए-पिए अघाए लोगों के प्रति उनका कोप साफ़ द्रष्टिगोचर होता है. राज्नेद्र प्रसाद द्वारा मूल ओरिया से अनूदित एन कहानियों को पढ़ते हुए ऐसा नहीं लगता कि अनुवाद पढ़ रहे हैं.
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