क्या वेश्यावृत्ति देह व्यापार गुप्त रोग गर्भपात व्यभिचार तलाक़ शराबखोरी जैसी सामाजिक बुराइयों का कोई मुकम्मिल समाधान मुमकिन है? आम तौर पर लोग इन सामाजिक बुराइयों को पाप कहते हैं और इनके लिए धार्मिक एवं आध्यात्मिक समाधानों पर ज़ोर देते हैं। कुछ लोग तो यहां तक दावा करते हैं कि ये समस्याएँ सनातन काल से चली आ रही हैं और आगे भी जारी रहेंगी। लेकिन बहुत कम लोग इस सच्चाई से वाकिफ़ हैं कि 1917 की महान रूसी क्रान्ति के बाद स्थापित मज़दूरों के राज्य सोवियत संघ ने न सिर्फ़ शोषणकारी उत्पादन सम्बन्धों में आमूलचूल परिवर्तन लाया था बल्कि तमाम सामाजिक-नैतिक बुराइयों की जड़ पर क्रान्तिकारी प्रहार करके इनको वैज्ञानिक तरीके से हल करते हुए मानव सभ्यता के इतिहास में एक शानदार नज़ीर पेश की थी। दुनिया के पहले मज़दूर राज्य की इस ऐतिहासिक उपलब्धि को आज साम्राज्यवादी कुत्सा-प्रचार की धूल और राख की मोटी परत के तले दबा दिया गया है। ऐसे में इन शानदार उपलब्धियों का तथ्यपरक ब्योरा आमजन तक पहुँचाना आज क्रान्तिकारी आन्दोलन का एक अहम कार्यभार है। इस सन्दर्भ में कनाडा के वैज्ञानिक लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता डाइसन कार्टर की किताब पाप और विज्ञान जो सिन एंड साइंस नाम से मूलत: अंग्रेज़ी में लिखी गयी थी आज बेहद प्रासंगिक है
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