पाषाण-युग 'विदेह' अरविन्द कुमार की सात हिंदी कहानियों का संकलन! संकलन की पहली कहानी ‘ब्लॉक का पेड़’ आज के समाज में घटते आपसी सौहार्द्र एवं अजनबियों के प्रति बढ़ते अकारण वैमनस्य को बिंबित करती हुई सचाई है। ‘मेरी ज्ञाति’ भारत में जातियों के हास्यास्पद ‘प्रहसन’ – फ़ार्स - को चित्रित करके इसकी विद्रूपता को व्यंजित करती है। ‘हिंदू-मुसलमान’ साम्प्रदायिकता के प्रश्न को व्यक्तियों – दो घनिष्ट मित्रों - के स्तर पर परीक्षण करके देखती है। 'मुर्गबाज’ समय की नब्ज पर हाथ रखने की कोशिश है। ‘मंदिरों मस्जिदों गुरुद्वारों गिरजाघरों में …’ साम्प्रदायिक कट्टरता की निरर्थकता को व्यंजित करने के लिए है जो मृत्यु के पर्दे के पीछे कितनी हास्यास्पद बन जाती है! 'ऐ अधर्मी!' - आदमी की नश्ल को बदलने की नाहक कोशिश कही जा सकती है। ‘राक्षस’ इस नए शासन-प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार पर एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी है और बताती है कि राक्षस कोई कपोल-कल्पना नहीं है एक वास्तविकता है। पढते रहिए पचाते रहिए। पसंद आए तो प्रशंसा भी कर दीजिए स्वीकार्य है!
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.