Pagadandiyon Par Saath-Saath
Hindi

About The Book

कविताएं बोलती हैं भावना के विभिन्न रूपों में शब्दों की नाव चढ़ तिरती रहती हैं मन की नदी में उतराती तरंगोंइस पुस्तक का पहला पन्ना प्रेरणा का द्वार खोलता है वहीं अंतिम पृष्ठ सुकून देता है। प्रस्तुत कविताऐं अनुभवों को भागीदार बना साथ साथ चलती हैं वहीं सार्थक निर्माणों की ओर प्रेरित करती दीखती हैं । समय रिश्ते असमंजस हर मोड़ के धरातल पर संवेदना के साथ खड़ी ये कवितायें आत्म संतुष्टि देती हैं।दूब हूं मैं चट्टानों पर उगना मेरी फितरत है नहीं डरती आंधियों से नहीं झुकती बरगद को देखकर मैं दूब हूं हरी हरी- आशा करण
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE