मैं पिछले चालीस वर्ष से हस्त पठन की प्रैक्टिस कर रहा हू और पिछले कुछ समय से इंस्टीव्यूट आँफ पाल्मिस्ट्री के माध्यम से शिक्षार्थियों के अलग ग्रुप बनाकर उन्हें हस्तरेखा विद्या का शिक्षण भी देता रहा हूँ। मेरे ग्रुपों में समाज के अनेक वर्गों के शिक्षार्थी रहे है उनमें उद्योगपति गृहिणियां अध्यापक तथा सरकारी विभागों में काम करने वाले अधिकारी भी हैं। इन शिक्षार्थियों में से कुछेक को पहले सै हस्तरेखा विद्या को कोई जानकारी नहीं थी और कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने पुस्तको द्वारा आरंभिक ज्ञान तो प्राप्त किया हुआ था विन्तु उन पुस्तको से वे इस विद्या के रहस्य पूरी तरह समझ न पाए थे। वे सब मेरी शिक्षण-विधि से संतुष्ट हुए। यह पुस्तक मेरे अध्ययन-अध्यापन और अनुभव का सार तो है ही इसके साथ इस विद्या का शिक्षण देते समय शिक्षार्थियों के साथ मेरे जो प्रष्टनोत्तर हुए उनका सार भी इसमें शामिल है। मुझे विस्वास है कि इस पुस्तक द्वारा आप इस विद्या को पा तरह समझ सकेंगे और इसका लाभ उठा सकेंगे । हस्तरेखा विद्या सीखने का आपका उदूदेश्य हॉबी या मनोरंजन है या आप इसे रोज़गार का साधन बनाना चाहते है दोनों दशाओं में यदि आप एक शिक्षार्थी की भाति इस पुस्तक को पढ़ेंगे और इसमें दिए गए निर्देशों का पालन करेंगे तो आप इस विद्या में निपुण होते जाएगे और हस्तरेखाआँ के विषय में आपके मन में उठने वाले प्रश्नों के उत्तर आपको स्वतः ही मिलते चले जाएंगे।
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