*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹147
₹200
26% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
उर्मिला शुक्ल का यह खंण्ड काव्य, खण्ड - खण्ड बिखरे स्त्री जीवन की उत्तरगाथा है। यह तीजन बाई के उद्दात कण्ठ में रलमल बहती हुई एक सनातन गाथा भी है ,जो अबूझ और अगाध स्त्री मन की पीड़ा का एक सजग रूपक रचती है । द्रौपदी से तीजन बाई, तीजन बाई से उर्मिला शुक्ल तक पीढ़ियाँ बदलती चली गयीं, पर स्त्री को मनुष्य न समझे जाने की दृष्टिबाधा वैसी की वैसी रही। ये धुँधलका न छँटा कि हर युग में, हर घर में अलग तरह से विशिष्ठ संरचना वाले कमनीय शरीर में ऐच्छिक यज्ञ की अनल सी, तेजोमय स्त्री चेतना प्रकट होती है। वह भी मनुष्य चेतना का ही एक आयाम है। उसके लहू का भी वही रंग है। उसके दिल दिमाग में तंतु वही हैं। बल्कि और अधिक सूक्ष्म और संवेदित और सप्राण। तभी तो उसकी उपस्थिति में आपके प्राणों में प्राण लौटते हैं।--अनामिका