इस पुस्तक का शीर्षक मैंने पंचतत्व रखा है क्योंकि हमारा शरीर आकाशजलअग्निवायु एवं धरती से बना है। ये सभी भौतिक तत्व हैं। क्या शरीर केवल इन्ही पांच भौतिक वस्तुओं से बना है? शायद नहीं। मैं यह मानता हूँ की प्रत्येक मनुष्य में इन पांच वस्तुओं के अतिरिक्त भी नैसर्गिक गुण एवं दोष भी होते हैं जिनको मिलाकर ही मनुष्य का निर्माण होता है। मनुष्य अपने पांच मुख्य नैसर्गिक गुणों एवं अवगुणों के साथ भी जीवन जीता है। वे पाँचों मुख्य गुण एवं अवगुण क्रमशः प्रेम लालच क्रोध दया और द्वेष हैं। हम सबों में कमोबेश ये सभी विद्यमान होते हैं। मैं इन पाँचों को मनुष्य निर्माण एवं उसके सम्पूर्ण जीवन काल का पंचतत्व ही मानता हूँ। मेरी प्रत्येक कहानी के पात्रों में इन पाँचों की उपस्थिति हैI
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