<p>यह किताब मैंने तुम्हारे लिए लिखी है| और अपने लिए भी| इसमें मेरी परछाई मिलेगी और तुम्हारी भी| </p><p>वैसे मैं तुम्हें जानने का दावा हरगिज़ नहीं कर सकता क्योंकि अभी तो मैं खुद को भी पूरी तरह से नहीं जानता हूँ और माना कि हम दोनों काफी बातों में अलग हैं... लेकिन कुछ चीज़ें हैं कुछ habits कुछ experiences हैं जो हम दोनों को बिलकुल एक जैसा बनाते हैं| </p><p>हम millennials पर तेज़ी से बदल रहे समय के साथ बदलने का बोझ है| कई बातों में पिछली पीढ़ी से ज़्यादा समझदार होने के बावजूद हम अक्सर अपने आप को ही नहीं समझ पाते|</p><p>बस उम्मीद करता हूँ कि कभी कहीं पानी पूरी का मज़ा लेते लेते हम एक दूसरे को और अपने आप को थोड़ा और जान पायेंगे|</p><p>- मिहिर जोशी </p>
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