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About The Book
Description
Author
मेरा दूसरा कविता संग्रह ‘पनिहारिन’ आपके समक्ष है। मेरे संग्रह बहुत विलम्ब से प्रकाशित हो रहे हैं उसकी कोई भी वजह नहीं है। शायद समय के साथ कदम-ताल मिलाने में मैं ही पिछड़ गया। सब के साथ समय अनुकूल भी नहीं होता। कुछ पारिवारिक समस्याएँ और मेरा आलसीपन भी बहुत हद तक जिम्मेदार है। वैसे मुझे दुःख भी नहीं है कि संग्रह में विलम्ब हुआ है