आज की ग़ज़ल सिर्फ़ दो जवान धड़कते दिलों की धड़कन ही नही बल्कि समाजी सियासी और इंसानी रिश्तों की ऐसी दर्द भरी कहानी है जिसे सुनाने और सुनने वालों की आँखे भीग जाती हैं ग़ज़ल की नई शायरा वंदना वर्मा ने इन्ही भीगी हुई आँखों से ग़ज़ल की आँखों का काजल बनाया है बनाया ही नही बल्कि ग़ज़ल की आँखों में बड़े सलीक़े से लगाया है वंदना वर्मा के लहजे में फ़िक्र की जो खनक और अहसास की जो चमक है वह उनके रोशन मुस्तकबिल का पता देती है वंदना वर्मा ने ग़ज़ल में मुहब्बत के खट्टे मीठे अहसासात और ज़िंदगी के तजुरबात सच्चे मोतीयों की तरह टाँके हैं मेरी बहुत सारी दुआयें उनके लिए ! : डॉक्टर नवाज़ देवबंदी देवबन्द (उप्र )
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