इस भागती-दौड़ती ज़िन्दगी में तारीख तक तो याद नहीं रहती। दिमाग पर बहुत देर तक जोर डालना पड़ता है और फिर भी सुनिश्चित करने के लिए मोबाइल का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में अलबमों में झाँकने पुरानी यादें ताज़ा करने का समय किसके पास है? फेसबुक भी नई तस्वीरों और नई कहानियों में ही दिलचस्पी लेता है। पापा-एन ओड टू फादर समय में पीछे झाँक कर कुछ देर ठहर कर उन यादों में डुबकी लगाने का प्रयास है एक ऐसे रिश्ते की पड़ताल करते हुए जो विस्मृतियों के अंधड़ में सबसे पहले उखड़ता है।
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