पराक्रमो विजयते उसके सेना में बिताए सेवाकाल का संस्मरण है जो मुख्यतः 1971 के युद्ध के बाद हुए तीन मुख्य अभियानों क्रमशः सियाचिन ग्लेशियर श्रीलंका और संयुक्त राष्ट्र संघ के अभियान और कई अन्य अभियानों से संबंधित है। उसने अपनी पुस्तक में अपनी असल ज़िन्दगी की कहानी और उससे जुड़े तथ्यों को जो शायद दूसरों की जानकारी में ना हो ख़ासकर नई पीढ़ी की जानकारी में उन्हें इस पुस्तक में समेटा है। उसने यह किताब आसान और स्पष्ट भाषा में लिखी है ताकि सभी इसके तथ्यों और वास्तविकता को समझ सकें। उपरोक्त इन अभियानों के अनुभव के अलावा उसके पास उग्रवाद विरोधी अभियानों और फौजी अभियानों को चलाने का बृहद अनुभव है। यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि पुस्तक न सिर्फ नई पीढ़ी के अफसरों को प्रभावित करेगी बल्कि नवयुवकों और पुराने लोगों को भी प्रभावित करेगी। - मेजर जनरल संजय सोई (सेवानिवृत्त)
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