परमात्मा के खोजी अथवा सत्य के जिज्ञासु के प्रारम्भिक मार्गदर्शन की सुप्रसिद्ध चर्चित पुस्तक परमात्मा की ओर जीवन में एक बार अपने 'आत्मा-कल्याण' के लिए अवश्य पढ़ें क्योंकि संसार दूसरों के प्रेम में पड़ने की यात्रा है और आध्यात्म अपने स्वयं के प्रेम में पड़ने की | जिस प्रकार पानी सदा निचे की ओर भागता है क्योंकि उसका अंशी पाताल है और आग सदा ऊपर की ओर भागती है क्योंकी उसका अंशी सूरज है इसी प्रकार मनुष्य 'आत्मा' होने के कारण सदा अपने अंशी 'परमात्मा' की खोज में स्थाई सुख प्राप्त करने के लिए तलाश करता रहता है | पुस्तक में आत्मा को परमात्मा से मिलाने के अध्ययन के बारे में जानकारी दी जा रही है जिसमें परमात्मा आत्मा सच्चे गुरु भक्ति मन कर्म और मानव -काया के महत्व को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है | पुस्तक में लेखक ने लिखा है कि परमात्मा प्राप्ति का सिर्फ एक ही उपाय है या तो परमात्मा में मन लगा दो तो संसार स्वतः छूट जायेगा या फिर संसार से मन हटा दो तो परमात्मा स्वतः मिल जायेगा | आशा है कि लेखक के द्वारा सालों तक अर्जित किये आध्यात्मिक ज्ञान एवं उसका स्वयं के जीवन में किए प्रयोग एवं अनुभव के आधार पर लिखी गई ये पुस्तक परमात्मा की यात्रा पर चलने वाले जिज्ञासुओं के आत्मकल्याण के मार्गं में आगे बढ़ने के लिए उपयोगी सिद्ध होगी |
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