यह औपन्यासिक रचना मेरे पूर्ववर्ती ऐतिहासिक उपन्यास "प्रिंसेज फीरोजा लव पीस एण्ड वार" में निहित एक देशभक्त नारी पात्र पर आधारित है जो अपने पतिव्रत धर्म की मर्यादा को दरकिनार कर अपने देशद्रोही पति को मौत के आगोश में सुला देती है और राष्ट्रधर्म को भारतीय नारी की सदा सुहागिनी रहने की अभिलाषा के वजूद से श्रेष्ठ समझती है।'पाषाण पुत्री क्षत्राणी हीरा-दे' की यह जीवंत कथा मारवाड़ जालौर राज्य के सोनगरा चौहान महाराजा कान्हड़देव व उनके राजकवर वीरमदेव द्वारा तत्कालीन दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी के विरुद्ध किये गए निर्णायक युद्ध के समय-चक्र के दरमियान की है और इस उपन्यास की कथा उस वक्त की भारतीय राष्ट्रीय अस्मिता एवं राज्य के लिए सर्वस्व बलिदान करने वाली राजपूत वीरांगना 'क्षत्राणी हीरा-दे' के सम्पूर्ण जीवन चरित्र को उजागर करती हैं।
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