लेखक श्री विनोद कुमार दीक्षित की पुस्तक। पथ आप प्रशस्त करो अपना हताश हो चुके साधकों को महारथी बनाकर विजय द्वार तक ले जाने की राह दिखाती है। दूसरों पर आश्रित होने की अपेक्षा स्वयं पर भरोसा रखने की सीख देती है। भगवान पर आश्रित न होकर आस्था रखने की शिक्षा देती है अपने ज्ञान पर भरोसा रखकर किसी अन्य माध्यम से सफलता का मार्ग न खोजने की सर्वोचित सीख देती है। दिग्भ्रमित होकर कुमार्ग पर निकल जाने से बचने के लिए सामूहिक प्रयासों पर भरोसा रखने का परामर्श देती है। हमारी सोच को सही दिशा देने का कार्य बहुत कम लोग करते हैं। जो सन्मार्ग पर चलने की सीख दे सकते हैं उन तक पहुंचने की भी सीख इस पुस्तक में मिलेगी। लेखक ने अपने स्वयं के अनुभवों को तथा समाज से सफलता / असफलता पाने वाले लोगों के अनुभवों को उदाहरण बनाकर अपनी सीख को सफलता का उचित सन्मार्ग प्रमाणित करने का प्रयास किया है। गीता का सिद्धांत मनुष्य के कर्म ही मिलने वाले फल का निर्धारण करते हैं मात्र पठनीय ही नहीं है अपितु अनुकरणीय भी है। आज के वैज्ञानिक युग में जहां व्यक्ति पारिवारिक बंधनों को जंजीर समझकर उसे तोड़ कर भाग निकलने का प्रयास कर रहा है वहीं लेखक ने उन बंधनों को सफलता का आधार बनाकर यह प्रमाणित करने का प्रयास किया है कि इस स्थिति में आप अपने बुजुर्गों के अनुभवों से वंचित रह जायेंगे जो वास्तव में सफलता की सीढ़ी तैयार करने का कार्य करते हैं। यही कारण है कि लेखक इस पुस्तक को पढ़ने का परामर्श देता है। फिर जैसी करनी वैसी भरनी । नाम : - विनोद कुमार दीक्षित पिता :- स्मृति शेष भोला नाथ दीक्षित माता :- स्मृति शेष कृष्णा देवी दीक्षित भाई :- प्रमोद कुमार दीक्षित पत्नी :- स्मृति शेष इंदिरा दीक्षित पुत्री :- कंचन शुक्ला ( PGT English ) रानी लक्ष्मीबाई मेमोरियल स्कूल C - ब्लॉक इंदिरा नगर लक्षनऊ । पुत्र :- आलोक दीक्षित जन्म तिथि :- 06 - 02 - 1945 शिक्षा :- परस्नातक अंग्रेजी साहित्य अर्थ शास्त्र तथा B Ed. प्रोफेशन :-केंद्रीय विद्यालय संगठन से सेवा मुक्त फरवरी 2005 पता :- H - 304 श्रष्टि अपार्टमेंट कुर्सी रोड लखनऊ संपर्क सूत्र : - 8707823992 ई- मेल। dixitvk.555@gmail.com पूर्व में प्रकाशित पुस्तकें। 1=- मैं और मेरा संघर्ष। 2=- भगवान से मांगना नहीं लेना सीखो।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.