Path Ki Khoj
Hindi

About The Book

जो होशपूर्वक अपनी सारी क्रियाएं करेगा इंद्रियों के सारे संबंधों में होश को जाग्रत रखेगा निरंतर उसका स्मरण रखेगा जो भीतर बैठा है उसका नहीं जो बाहर दिखाई पड़ रहा है क्रमशः उसकी दृष्टि में परिवर्तन उत्पन्न होगा। रूप की जगह वह दिखाई पड़ेगा जो रूप को देखने वाला है। सारी क्रियाओं के बीच उसका अनुभव होगा जो कर्ता है। निरंतर के स्मरण निरंतर की स्मृति उठते बैठते सतत चौबीस घंटे की जागरूक साधना के माध्यम से व्यक्ति इंद्रियों के उपयोग के साथ भी इंद्रियों से मुक्त हो जाता है दृश्य विलीन हो जाते हैं द्रष्टा का साक्षात शुरू हो जाता है। इंद्रियों का निरोध होता है इंद्रियां रुकती हैं। उनका बहिर्गमन विलीन हो जाता है वे अंतर्गमन को उपलब्ध हो जाती हैं। ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय बिंदु:कैसे होगा इंद्रिय निरोध?पुण्य और पाप की परिभाषा स्वयं की खोज का विज्ञानविद्रोह का क्या अर्थ है?
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE