Path Pradarshak Urja

About The Book

व्यक्ति का जन्म भले किसी जाति धर्म परिवार में हो परन्तु उसे सभी धर्मों से जुड़ने का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है क्योंकि आत्मा का कोई धर्म मजहब नहीं होता है। हमारा जीवन आत्मा का सफर है जो शरीर के अन्दर है शरीर से हमें कष्ट पहुंच सकता है सामाजिक जीवन में व्यक्ति के शरीर का कष्ट स्पष्ट दिखता है जो व्यक्ति को दिखता है। आत्मा को देखने के लिए विशेष ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो आध्यात्मिक ऊर्जा युक्त गुरू के पास होती है और वे ही हमारा जीवन पढ़कर मार्गदर्शन कर सकते हैंपुस्तक वर्तमान पीढ़ी के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है क्योंकि प्रतिस्पर्धा और आधुनिकीकरण की दौड़ में “सब कुछ हमारे हाथ में है” के भ्रम में व्यक्ति तनाव व अनेकों बीमारियों का शिकार हो रहा है। वास्तव में सार्वभौमिक ऊर्जा में छुपी हुई ताकत को जब हम समझ लेते हैं तब मात्र कर्म हमारे हाथ में रहता है। शेष सफलता का दायित्व उस ऊर्जा पर निर्भर रहता है जो हमारे साथ सदैव रहती हैपुस्तक का प्रमुख उद्देश्य सामाजिक जीवन एवं सामाजिक व्यवहार के पीछे हुऐ पराविज्ञान के रहस्यों को उजागर करना है। मनुष्य सत्कर्म करते हुए अपना जीवन व्यतीत कर सकता है क्योंकि उसके कर्म ही प्रारब्ध अथवा संचित कर्मो के रूप में उसका साथ देते है। अन्धकार से उजाले की ओर और- उजाले से अन्धकार की ओर आने जाने की यात्रा ही जीवन है जिसमें हमें उन ऊर्जाओं (आध्यत्मिक गुरुओं) की भूमिका को जानना व पहचानना आवश्यक है।
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