‘पथरीला सोना’ सप्तम खंड में मेरे पूर्व छ: खंड़ों की बहुत सी घटनाओं और अनेकानेक पात्रों की आवृत्ति है। कुल मिला कर एक समृद्ध उपन्यास के रूप में इसे प्रमाण यह देना है इसमें अनिवार्य रूप से मॉरिशस है। अपने लेखकीय जीवट के बल पर मुझे भरोसा है मैंने सार्थक शब्दों से पन्नों को रंगने का अपना सर्वोचित दायित्व निभाया है। सार्थक शब्द मेरे देश की मिट्टी ने ही मुझे दिये हैं। बल्कि मैं तो इतना तक कह सकता हूँ यदि मेरे जन्म देश ने मुझे लेखकीय सामग्री देने में कंजूसी की होती तो मैंने उससे लड़ कर लिया होता। पर मेरे देश ने मुझे शिकायत का मौका कभी नहीं दिया। अपने देश से मेरा अनुभव है इससे जब भी मैंने लिखने का संबल चाहा इसने प्यार से वह मुझे दिया। बल्कि मुझे रास्ता भी दिखाया कि बेटे वहाँ से आगे बढ़ो तुम्हें गाँव भी मिलेंगे शहर भी मिलेंगे जीवन की विविधताएँ मिलेंगी आशा-निराशा के तमाम पड़ाव मिलेंगे ईर्ष्याप्रेम जैसे तत्त्व मिलेंगे वर्तमान की विस्मयकारी राजनीति मिलेगी रोग शोक के न जाने कैसे-कैसे बिलखते आँसू मिलें फिर तो जितना चाहो वहाँ-वहाँ से विपुल कथ्य चुन लो।
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