पतझड़ की धूप जीवन की विभिन्न स्थितियों पर मानव मन का चितन है जो एक इंसान के रूप की न कहीं उजगार की तलाश में रहता है। कविता के रूप में ही सही विभिन्न सन्दर्भों में जब भी कभी दिल कहीं स्पर्शमय हुआ तभी उन्हें कविता के रूप में चित्रित करने की ये मेरी प्रथम कोशिश है। पता नहीं कवि की श्रेणी के ये कितनी पास है. पर एक अवलोकन की चाहत में बहुत कुछ बह गया उसे कुछ समेटने में अगर सफल होता तो समझूगा प्रथम प्रयास में कुछ तो मिला।
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