Patrakarita evam Jan-Sampark
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About The Book

जनसम्पर्क संचार और संप्रेषण का एक पहलू है जिसमें किसी व्यक्ति या संगठन या जनाकर्षण तथा इस क्षेत्र से संबंधित लोगों के बीच सम्पर्क स्थापित किया जाता है। एक तरह से यह सेवा लेने वालों तथा सेवा देने वालों के बीच एक सेतु का काम करता है। यह एक द्विपक्षीय कार्रवाई है जिसमें सूचनाओं तथा विचारों का आदान-प्रदान होता है। जनसंपर्क एक ऐसा सूत्र है जिसमें पिरोकर सरकार और जनता के बीच सम्बन्ध स्थापित किये जा सकते हैं। बल्कि कह सकते हैं कि जनसम्पर्क एक सेतु का काम करने में अन्य साधनों की तुलना में सर्वाधिक समर्थ उपयुकत और सक्षम है। जनसम्पर्क जनमत का विश्वास हासिल करने मे हमेशा से मददगार साबित हुआ है। सरकारें जनता द्वारा चुनी जाती है और जनहित मे कार्य करती हैं। सरकार जनता के हित के लिये क्या नीति व रणनीति बना रही है इसे जनता को बताने का सबसे सस्ता व शक्तिशाली माध्यम जनसम्पर्क है। वर्तमान समय की चुनौतियां जैसे जलवायु परिवर्तन एड्स गरीबी और अशिक्षा के प्रति लोगों को जागरुक करने तथा इसके बारे में व्यापक जनमत तैयार करने में जनसम्पर्क बड़ी भूमिका निभा सकता है। भारत के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में आज जनसम्पर्क एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। देखते ही देखते जनसम्पर्क पहले की तुलना में एक प्रतिष्ठित पेशा बन गया है और यह कैरियर क्षेत्र भी बनकर उभर रहा है। जनसम्पर्क एक बहुत ही रचनात्मक कार्य है। सृजन-जनसम्पर्क की आत्मा है। वर्तमान युग में जन-संचार माध्यमों की भूमिका का क्षेत्र काफी विस्तृत हो गया है। आजादी के बाद के सत्तर वर्षों में जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव आया है। आज अखबार मित्रता करना भी सिखा रहे हैं। अखबार उपहार दिलाते हैं विदेश की सैर कराते हैं और नकद इनाम भी दिलाते हैं। पत्रकारिता एवं जन-संचार के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व बदलाव आया है। प्रिंट मीडिया की आज देश के कोने-कोने तक पहुंच है। खोजी पत्रकारिता एवं स्टिंग ऑपरेशन आज खूब लोकप्रिय हैं। प्रेस का दायरा एवं दायित्व बहुत बढ़ गए हैं। प्रस्तुत पुस्तक में जनसम्पर्क की परिचयात्मक अवधारणा एवं विकास के माथ-साथ सैद्धान्तिक पक्ष पर भी प्रकाश डाला गया है। जनसम्पर्क की सबसे महत्त्वपूर्ण कड़ी जनसम्पर्क के जन होते हैं। पुस्तक में जनसम्पर्क जनों कों विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया गया है । विभिन्न क्षेत्रों में जनसम्पर्क की संगठनात्मक संरचना पर भी प्रकाश डाला गया है। जनसम्पर्क के उपकरणों के प्रभावी उपयोग को भी पुस्तक में समाहित किया गया है। जनसम्पर्क के महत्वपूर्ण उपकरण विज्ञापन को भी पृथक अध्यायों में स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। पारम्परिक विधाओं के साथ-साथ सोशल मीडिया जैसे आधुनिक माध्यमों को जनसम्पर्क हेतु उपयोग करने के विभिन्न तरीकों का भी इस पुस्तक में समावेश किया गया है। पत्रकारिता एवं जनसम्पर्क के क्षेत्र में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए यह पुस्तक उपयोगी साबित होगी। यह पुस्तक सुधी पाठकों को जनसम्पर्क का सम्पूर्ण परिचय देने के साथ-साथ जनसम्पर्क के कौशलों को सीखने में सहायक सिद्ध होगी।
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