पत्थर किताब शायरी और गज़लों का एक संकलन हैं |... कोई गैर बस मुस्कुराकर ही मेरा अपना हुआ.... एक तु जो गले मिलकर भी ठीक से मिला नहीं .... पत्थर के जरिये मोहब्बत और इंतज़ार के हसीन लम्हों को बेहतरीन अंदाज़ में शायरी में उतारा गया हैं |... पत्थर हर एक इंसान को उसके जिंदगी की धूप और छाँव से रूबरू कराती हैं | किस तरह काँटों में उलझे हुए हर इंसान को फूल से मिलने में बड़ी देरी हो जाती हैं और किस तरह सभी हालात गर्दिश पे चले जाते हैं और हर अधूरी ख्वाहिश सीने में दफनकर इंसान खुद को समेटकर पत्थर बन जाता हैं यह जिंदगी की इकलौती हकीकत बयाँ करने में पत्थर हर तरिके से कामयाब हैं | . . . यह किताब मोहब्बत और जिंदगी के सभी पहलू पर बात करती हैं | इश्क़ --जुदाई --इंतज़ार.... और साथ ही ..चाहे जिंदगी का सुनहरा पल हो या कोई दुश्वार लम्हां.. इन सभी बातों को गज़ल और शायरी के जरिए बहुत ही रंगीन और गहरे मिजाज़ में बयाँ करती हैं...
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.