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About The Book
Description
Author
Patthar Hue Log II मैं बतौर लेखक बेझिझक कहना चाहूँगा कि आज इक्कीसवीं सदी में भी भारतीय मुस्लिम समाज चौदहवीं शताब्दी में सांसें ले रहा है जो लोहे के पर्दे के पीछे छिपा है और घर-बाहर टाट के पर्दे से अपनी कमियों को ढँकने में लगा है। यह कटु सत्य है कि इस देश के दूसरे संप्रदायों की अपेक्षा कई गुणा अधिक आर्थिक सामाजिक पारम्परिक प्रथाओं और रूढ़ियों के शिकार हैं। इनकी संकीर्ण विचारधारा समाज की मुख्यधारा में शामिल नहीं होने देती। जिसका मुख्य कारण है- घोर अशिक्षा अज्ञानता अकुशलता और अंध धार्मिकता। जबकि विश्व के अनेक मुस्लिम देशों में क्रांतिकारी सामाजिक परिवर्तन दृष्टिगोचर होने लगा है जिसे वे धार्मिक होते हुए भी आत्मसात कर रहे हैं। ‘पत्थर हुए लोग’ ऐसे ही समाज और पिछड़े वर्गों की कहानियों में शामिल हैं। ये कहानियाँ पाठकों को एक नये संसार से साक्षात्कार के साथ बहुत कुछ सोचने पर विवश करती हैं जिसे एक बार ही सही पढ़ा जाना चाहिए।