Patthar Yug Ke Do Boot (पत्थर युग के दो बुत)
shared
This Book is Out of Stock!

About The Book

आचार्य चतुरसेन की विशिष्ट कहानियों का यह अनुपम संकलन है। सम्भवतः इस संग्रह में उनकी प्रारंभिक कहानियां संकलित हैं। इन रचनाओं का काल सन् 1920-30 के आसपास माना गया है। इन कहानियों में मानव की मनोवृत्ति का और सामाजिक विसंगतियों का अध्ययन किया गया है। यह कहानी संग्रह उत्कृष्ट मानसिक घात-प्रतिघातों मनोवैज्ञानिक विश्लेषण तो है ही बल्कि इस संग्रह ने समाजिक राजनैतिक और राजसी वैभव का भी रेखाचित्र खींचने का प्रयास किया गया है।इस संग्रह की सबसे खूबसूरत बात यह है कि इसमें न सिर्फ पात्रें के बिम्ब-प्रतिबिम्ब अपने समय के मनुष्य को वर्णित करता है बल्कि अपने सामाजिक परिवेश का चित्रण इस प्रकार किया है जैसे कि हम उसी समय में विचरण कर रहें हो।. About the Author आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म 26 अगस्त 1891 को भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के बुलंदशहर जिले के एक छोटे से गाँव औरंगाबाद चंडोक (अनूपशहर के पास) में हुआ था। उनके पिता पंडित केवाल राम ठाकुर थे और माता नन्हीं देवी थीं। उनका जन्म का नाम चतुर्भुज था। अपनी प्राथमिक शिक्षा समाप्त करने के बाद उन्होंने राजस्थान के जयपुर के संस्कृत कॉलेज में दाखिला लिया जहाँ से उन्होंने वर्ष 1915 में आयुर्वेद और शास्त्री में आयुर्वेद की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने आयुर्वेद विद्यापीठ से आयुर्वेदाचार्य की उपाधि भी प्राप्त की।.
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
313
325
3% OFF
Hardback
Out Of Stock
All inclusive*
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE