जो बात मैं कहानी में नहीं कह पाता उसे कविता में कहने की कोशिश करता हूँ क्योंकि कम से कम शब्दों में कविता ही एक मात्र विधा है जिससे समय-समाज के दिल की गहराइयों को स्पर्श किया जा सकता हैं जिससे पाठक का दिल पुकार उठे कि यह तो मैं भी रोज़ देखता सुनता और महसूस करता हूँ - ‘यह तो मेरी तथा सामाजिक सरोकार की बात है’ ‘‘रसात्मकम् वाक्यम् हिकाव्यम्’’ यानी रसयुक्त वाक्य ही कविता है का मैं पक्षधर हूँ और अन्त में ‘साहिर’ लुधियानवी के शब्दों मेंः- दुनिया ने तजर्बात व हवादिस की शक्ल में जो कुछ मुझे दिया है वह लौटा रहा हूँ मैं----
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.