PATTHARON KA SHAHAR

About The Book

जो बात मैं कहानी में नहीं कह पाता उसे कविता में कहने की कोशिश करता हूँ क्योंकि कम से कम शब्दों में कविता ही एक मात्र विधा है जिससे समय-समाज के दिल की गहराइयों को स्पर्श किया जा सकता हैं जिससे पाठक का दिल पुकार उठे कि यह तो मैं भी रोज़ देखता सुनता और महसूस करता हूँ - ‘यह तो मेरी तथा सामाजिक सरोकार की बात है’ ‘‘रसात्मकम् वाक्यम् हिकाव्यम्’’ यानी रसयुक्त वाक्य ही कविता है का मैं पक्षधर हूँ और अन्त में ‘साहिर’ लुधियानवी के शब्दों मेंः- दुनिया ने तजर्बात व हवादिस की शक्ल में जो कुछ मुझे दिया है वह लौटा रहा हूँ मैं----
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