Peele Kagaz Sookhi Syahi

About The Book

“पीले कागज़ सूखी स्याही” इस शीर्षक को पढ़ कर ऐसा लगा मानो जीवन का बसंत उदासी से लिखा गया है और जब पन्ने पलटे तो ऐसा ही हुआ सबसे पहले अमृता और इमरोज़ नज़र आए। दो ऐसे लोगों का जिक्र जिन्होंने प्रेम को जीया। निखिल लिखते हैं कि “काश हर लड़की के जीवन में एक इमरोज़ हो एक ऐसा साथ जो निस्वार्थ उसके साथ रहकर भी उसे अकेला रहने दे। वो साथ जो शब्दों को रंगों में घोल कर जीवन इंद्रधनुष बना दे।“ मन की धनक के अनगिनत रंग! कहीं अमृता प्रीतम की प्रति उनका प्रेम तो कहीं अपने ईमरोज के इंतजार में एक अमृता। कहीं उनका सूफियाना अंदाज कविता संग्रह की हर एक कविता की एक अलग पहचान अपना सौंदर्य अपनी शक्ति अपना तेवर है। शब्दों में एक शोख अंदाज़ और भाषा मे ऐसी रवानगी कि कविता पढ़ते जाने का मोह रुकता ही नहीं है।
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