श्रेष्ठ कहानी वही लगती है जो पाठक को अपनी लगे या किसी जानेपहचाने व्यक्ति की कथा लगे। पीली रोशनी का समंदर; रेल मंत्रालय के उच्च अधिकारी विपिन पवार का ऐसा ही कहानी संग्रह है जोमनुष्य के भीतरी मनोविश्लेषण को रेखांकित करते हुए समाज की विसंगतियों को चित्रित करता है।विपिन पवार की कहानियों में विषयवैविध्य है। जनसामान्य से आए पात्र समाज के विभिन्न वर्गोंका प्रतिनिधित्व करते हैं। मानवव्यवहार का सूक्ष्मता से चित्रण करने में ये कहानियां सफल रही हैं। समाजकी विसंगतियों के बीच अच्छाई की उपस्थिति कहीं न कहीं दिखाई देती है। ऐसा सोचसमझकर कियागया नहीं लगता बल्कि इतनी सहजता से यह सब घटित होता है कि पाठक इन पात्रों के साथ हो लेता है।कहानी की मुख्य शर्त होती है – पठनीयता और रोचकता। विपिन पवार की कहानियों में इन दोनोंबातों को विशेष रूप से देखा जा सकता है। पाठक निरंतर कहानी के साथसाथ बहता चला जाता है।जिज्ञासा का पुट इतना अधिक होता है कि रुकने की कहीं संभावना पाठक खोज नहीं पाता। शैली इसप्रकार बुनी गई है कि कहानियां अत्यंत रोचकता लिए हुए हैं। भाषा अत्यंत सरल और बोधगम्य है। भाषाशैली की विशेषता के कारण संग्रह अत्यंत रोचक और पठनीय बन पड़ा है। कोई पात्र बनावटी या पुतलानहीं लगता। पात्रों का विकास उनके स्वभावानुकूल और सहजता से आकार लेता चलता है। बलपूर्वक कोईआदर्श ठूंसने की कोशिश नहीं की गई है। फिर भी अच्छाई का श्रेष्ठत्व यहांवहां देखा जा सकता है। लेखकके सृजन का यह विशिष्ट पहलू है। कथायात्रा के इस दौर में विपिन पवार की कहानियां अपनी अलगपहचान रखती हैं। पात्रों के माध्यम से उन्होंने अपने परिवेश और परिस्थितियों को बखूबी उकेरा है।मानवीय रिश्तों के विविध आयामों को इस कहानी संग्रह;पीली रोशनी का समंदर; में देखा जा सकता है।
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