Pehla Gantavya

About The Book

पहला गंतव्य त्रिभाषी लेखिका परोमा भट्टाचार्य का हिन्दी में प्रथम कविता संग्रह है। किसी कवि का पहला संग्रह उसके अब तक के जीवन के बहुरंगी अनुभवों का इंद्रधनुष होता है। उसमें संकलित कविताओं से प्रायः कवि के किसी खास रंग की पहचान संभव नहीं होती। परोमा का तो व्यक्तित्व ही बहुआयामी है। वे रंगकर्म गायन लेखन और पत्रकारिता के साथ साथ सामाजिक सरोकारों के लिए सक्रिय कार्यकर्ता हैं। उनके सरोकारों में बच्चों और स्त्रियों के जीवन और अधिकार विशेष रूप से शामिल हैं। उनके व्यक्तित्व के विविध पहलुओं से परिचय उनकी प्रतिरोध की प्रवृत्ति से परिचय प्राप्त करना है। प्रतिरोध का यह स्वर उनकी कविताओं में भी मुखर है। बस अपनों से डर लगने लगा है कविता में उन्होंने बाल और स्त्री मन में छिपे सदियों पुराने लेकिन नित्य नवीन डर की भवन को अभिव्यक्त किया है। - डॉ. देवेन्द्र कुमार देवेश क्षेत्रीय सचिव साहित्य अकादेमी पूर्व क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता
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