पहली किताब कुछ कविताओं नज़्मों व अन्य रचनाओं का संग्रह मात्र नहीं अपितु एक यात्रा है। साहित्य समाज का दर्पण होता है और कोई भी साहित्यकार उस दर्पण का शिल्पकार। इसी प्रकार एक साहित्यकार के व्यक्तिगत अनुभव उस समाज के आम जनमानस के अनुभवों का प्रतिबिंब बन जाते हैं। दिवास्वप्न नैराश्य महत्वाकांक्षा पश्चाताप संघर्ष सफलता- असफलता आदि असंख्य भावों के बीच संघर्ष करते आधुनिक युवा के कालचक्र के साथ सँभलकर उत्कृष्ट जीवन स्तर हेतु अपनी संभावनाओं को चिन्हित कर लक्ष्य प्राप्ति हेतु अग्रसर होने की आम युवा जीवनशैली का अनुकूलन इन नज़्मों के विषयों की संक्रांति के साथ पूर्ण होता है। इस पुस्तक की विशेषता इसकी अनूठी प्रयोगात्मक शैली है जो सामान्यतः लिखी जाने वाली पद्य व शेर-ओ-शायरी की किताबों से अलग एक संवादात्मक शैली में प्रस्तुत की गई है। इसी विशेषता के कारण यह पुस्तक पढ़ते समय मात्र कुछ पन्नों पर लिखी इबारत पढ़ने से अधिक स्वयं लेखक के साथ संवाद करने अथवा किसी मुशायरे या सम्मेलन में शामिल उनकी प्रस्तुति को सामने से देखने का अनुभव देती है। यह मात्र एक संकलन नहीं अपितु अपने आप में एक बेहतरीन मंच प्रस्तुति की नविश्त है।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.