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About The Book
Description
Author
कोरोना वार्ड की इंचार्ज और एक सैनिक की बेटी डॉ श्रद्धा सरन उस समय स्तब्ध रह जाती है जब उसे पता चलता है कि दो दिन पहले विदेश से आया उसका बचपन का दोस्त और प्रेमी मनु कोरोना संक्रमित होकर एअरपोर्ट से सीधे उसके अस्पताल ही भेजा गया है| वह तो वर्षों से मनु का ही बेसब्री से इंतजार कर रही थी; वह भागकर उसके बेड तक जाती है तो उसे पता चला कि मनु दो दिन से श्रद्धा नाम दोहराते दोहराते कोमा में चला गया| अब वेदना कसक पीड़ा से भरी एक चुनौती डॉ श्रद्धा के सामने थी अपने प्रेमी मनु की जान बचाने की| जिसे मनु के माता पिता ने श्रद्धा से दूर करने के लिए ही विदेश भेजा था| मनु के बेड की तरफ देखकर जब एक सीनियर डॉक्टर ने कहा कि यह बेड एक दो दिन में खाली हो जायेगा | तो श्रद्धा कांप जाती है| जिस कोरोना महामारी की कोई दवा नहीं है; उस बीमारी से सिर्फ़ अपने गहन प्यार के प्रतीकोंअपने पवित्र मिलन की स्मृतियों को दोहरा कर डॉ श्रद्धा मनु को बचाने में जुट जाती है| प्रेम की बेदी पर कोरोना कोई बलिदान लेकर विजयी होता हैया प्रेम के अमरत्व के सम्मुख पराजित हो जाता है?कोरोना दुनिया के इतिहास में सिर्फ एक महामारी के रुप में ही दर्ज रहेगा या मनु श्रद्धा की महान प्रेमगाथा के रुप में भी याद रखा जायेगा? बचपन से ही अपनी हंसी पीड़ा घर के सामनेवाले पीपल के पेड़ से शेयर करनेवाली श्रद्धा को इस समय अपनी नानी का उलाहना याद आता है पगली! पीपल पर घोंसले नहीं होते!.