भूतप्रेत पिशाच कूष्माण्ड व्रह्मराक्षस जिन्न आदि यह सब पृथ्वी पर भटकनें बाली एक योनी है। यह सब वो अतृप्त आत्माएं हैं जो अपनीं अदम्य अतृप्त वासनाओं के पूरी ना होनें के कारणइनकी मृत्यु अकाल आकस्मिक हो चुकी है। आत्माएं अशरीरी और पारदर्शक होतीं हैं अपनीं उन अतृप्त इच्छाओं को पूरा करनें के लिए इन्हें आत्मा के रूप में पृथ्वी पर जब तक इनकी मुक्ति ना हो तब तक भटकना पड़ता है। इनमें कुछ रूहें अच्छी भी होतीं हैंजो किसी के साथ उपकार भी करतीं है तो कुछ रूहें बुरी भी होतीं हैं जो बिना उद्देश्य किसी को भी परेशान कर सकतीं हैं। रूहों का अपना लोक अलग है इन आत्माओं की आयु अनेकों वर्ष होती हैजब तक इनका मोक्ष ना हो तब तक यह आत्माएं भटकतीं रहतीं हैं।
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