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About The Book
Description
Author
पूर्व की बातों को सहेज कर वर्तमान को महसूसती और भविष्य के प्रति जिजीविषा जगा कर कई विषयों की सूक्ष्मता से पड़ताल करती कविताओं का संग्रह है पिताजी की साईकिल। पारिवारिक मूल्यों के अवमूल्यन से रिश्तों में आई दरार का चुभन तथा संवेदना शून्यता के विरुद्ध छोटी छोटी बातों में भी खुशियों की तलाश का भगीरथ प्रयास। पागलपन की हद तक प्रेम की पराकाष्ठा और बचपन की स्मृति के बहाने संतोष और सुकून। बेजान पत्थरों का छलकता दर्द तो कहीं कबाड़ में भी अपनों के होने का अहसास मात्र से देह में सिहरन। गंभीर और हास्य विषयों की कविता का संतुलन। साथ ही और भी बहुत कुछ है मन को उद्वेलित कर उर्जा का संचार करने के लिए एवं मन को गुदगुदा कर आनन्द की अनुभूति के लिए।