मानव शरीर को हम सभी देखते हैं।ये वाह्य संरचना एक पाँच तत्वों का समावेश है।जो कि रंग रूप जाति प्रजाति एवं भौगोलिय स्तरों पर अलग-अलग रूप में दिखाई पड़ती है। इससे अलग हर जीवित जीवों में प्राण ऊर्जा का समावेश रहता है।इस ऊर्जा -विशेष के कारण ये जीवन विद्यमान रहता है।छोटे जीवों एवं बड़े जीवों में भी ये ऊर्जा समाहित रहते हैं। मानव शरीर एक ईश्वरीय सृष्टि की एक अद्भुत संरचना है।इसके विशिष्ट संरचना की मान्यता सभी धर्म समुदाय एवं महापुरुष मानते हैं। इसकी विलक्षणता विवेक पूर्ण होना ही हम मानव की श्रेष्ठता है। इसका प्रमाण हमें महापुरुषों के जीवन चरित्र से मिलती है।आज के भौतिक प्रगति के वैज्ञानिक आधारकी सुख- सुविधायें सुलभ जीवन से समझ में आता है कि हम मानव दूसरे जीवों से कहीं ज्यादा विकसित है। क्या आपने सुना है? कि जब एक स्वस्थ घोड़ा शक्तिमान हो एवं उसे बैठा कर रखा गया हो तो वहतोड़-फोड़ करेगा या बीमार हो शक्तिविहीन हो जाएगा। ठीक इसी तरह एयर कंडीशनर अप्राकृतिक दिनचर्या एवं ख़ान-पान बेकार के दृष्टि दोष एवं अनुशासनविहीन चमक-धमक जीवन शैली हमारे युवा वर्ग के मन- मस्तिष्क को भ्रमित कर रहें हैं।उनके ऊर्जा का ह्रास्व हो रहा है।
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