दुनिया में तीन तरह की विचार-प्रक्रियाएँ पाई जाती हैं- क्या होना चाहिए क्या होगा तथा क्या हो सकता है। जो दार्शनिक किस्म के लोग होते हैं वे चाहिए पर ध्यान केन्द्रित करते हैं; राजनीतिज्ञ हवाई वादों के रूप में भविष्य के सपने दिखा-दिखाकर लोगों को लूटने में माहिर होते हैं; लेकिन प्रबन्धकों का फोकस हमेशा क्या हो सकता है पर होना चाहिए। इस पुस्तक का फोकस भी यही है। इसमे उदाहरण सहित बताया गया है कि आप ही के जैसी समस्याओं से जूझ चुके दूसरे प्रबन्धकों ने किस तरह उन समस्याओं का समाधान किया और अव आप उनसे प्रेरणा लेकर क्या कर सकते हैं । ।
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