प्रस्तुत पुस्तक मूलतः ‘भारतीय प्राचीन संगीत’ के सैद्धान्तिक तत्त्वों की सार्थकता एवं व्यवहारिकता की विश्लेषणमूलक व्याख्या करती है। संगीत के सैद्धान्तिक तत्त्वों की व्यवहारिकता अपने आप में एक महत्त्वपूर्ण विषय है। प्रस्तुत पुस्तक में संगीत के लगभग सभी प्राचीन सैद्धान्तिक तत्त्वों का परिचय देने के साथ-साथ उनकी व्यवहारिकता की भी व्याख्या की गई है। संगीत के प्राचीन सिद्धान्तों अथवा नियमों की वर्तमान समय में क्या व्यवहारिकता है और ये आज के संगीत के लिए कितने उपयोगी हैं का वर्णन इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य रहा है। प्राचीन भारतीय संगीत के सैद्धान्ति तत्त्वों अथवा नियमों के परिचय एवं व्यवहारिकता को समझने में यह पुस्तक अति महत्त्वपूर्ण सामग्री स्रोत साबित हो ऐसा सतत् प्रयास रहा है।
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