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About The Book
Description
Author
About the Book: गोकुल की माता का मिनट तक गत-सी बैठी जमीन की और ताकती रहीं। शौक और उससे अधिक ने सिर को दबा रखा था। फिर पत्र उठाकर पढ़ने लगी।स्वामीजब यह पत्र आपके हाथों में पहुंचेगा तब तक में इस संसार से विदा हो जाऊंगी। में अभागि हूँ। मेरे लिए संसार में स्थान नहीं है। आपको भी कारण कलेश और जिन्दा ही मिलेगी। मैंने सोचकर देखा और यहाँ निश्चय किया कि मेरे लिए मरना ही अच्छा है। मुझ पर आपने जो दया की थी उसके लिए आपको जीवनसतुका नहीं की परन्तु मुझे दुःख है कि आपके चरन सर सकी। मेरी अंतिम याचना है कि मेरे लिए आप शौक न कीजिएगा ईश्वर आपको सदा सुखी रखे। माताजी ने पड़ रख दिया और आंखों से आँसू बहने लगे बरामदे में र निस्पंद खड़े थे और जैसे मानी उनके सामने खड़े थी। About the Author: प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। प्रेमचंद (प्रेमचन्द) की आरम्भिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। प्रेमचंद के माता-पिता के सम्बन्ध में रामविलास शर्मा लिखते हैं कि- जब वे सात साल के थे तभी उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। जब पन्द्रह वर्ष के हुए तब उनका विवाह कर दिया गया और सोलह वर्ष के होने पर उनके पिता का भी देहान्त हो गया। इसके कारण उनका प्रारम्भिक जीवन संघर्षमय रहा। धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद के नाम से जाने जाते हैं वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार कहानीकार एवं विचारक थे।