गोकुल की माता का मिनट तक गत-सी बैठी जमीन की और ताकती रहीं। शौक और उससे अधिक ने सिर को दबा रखा था। फिर पत्र उठाकर पढ़ने लगी।स्वामीजब यह पत्र आपके हाथों में पहुंचेगा तब तक में इस संसार से विदा हो जाऊंगी। में अभागि हूँ। मेरे लिए संसार में स्थान नहीं है। आपको भी कारण कलेश और जिन्दा ही मिलेगी। मैंने सोचकर देखा और यहाँ निश्चय किया कि मेरे लिए मरना ही अच्छा है। मुझ पर आपने जो दया की थी उसके लिए आपको जीवनसतुका नहीं की परन्तु मुझे दुःख है कि आपके चरन सर सकी। मेरी अंतिम याचना है कि मेरे लिए आप शौक न कीजिएगा ईश्वर आपको सदा सुखी रखे। माताजी ने पड़ रख दिया और आंखों से आँसू बहने लगे बरामदे में र निस्पंद खड़े थे और जैसे मानी उनके सामने खड़े थी।
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