जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के ऐसे अमर रचनाकार हैं जिन्होंने भावनाओं आदर्शों और मानवीय संवेदनाओं को एक अनूठी शैली में अभिव्यक्त किया। “प्रतिध्वनि” में प्रसाद जी ने जीवन के सूक्ष्म अनुभवों और समाज के बदलते मूल्यों को गहराई से उकेरा है। ‘प्रतिध्वनि’ कहानी आत्मा की पुकार और मनुष्य के भीतर उठने वाले नैतिक संघर्ष की प्रतीक है। इसमें लेखक ने यह दिखाया है कि हर विचार हर भावना — संसार में अपनी प्रतिध्वनि छोड़ जाती है। अन्य कहानियाँ भी इसी भाव-जगत की विविध प्रतिध्वनियाँ हैं जो पाठक को आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करती हैं। यह संग्रह भाषा की कोमलता भावनाओं की गहराई और विचारों की ऊँचाई — तीनों का अद्भुत संगम है। “मनुष्य का हर कर्म हर विचार — जगत में अपनी प्रतिध्वनि छोड़ जाता है।”
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